हत्यारे ने मुज़म्मिल को उसकी गर्दन से दबोचा। काँपता शरीर और ज़्यादा थरथराने लगा। उसने लड़के के चेहरे को ऊपर उठाया। मुज़म्मिल कातिल की तरफ आंखे नहीं फेर सकता था जबकि कातिल उसे ऐसे घूर रहा था जैसे वो कब्रगाह में कब्र के नाम को घूर रहा था । लेकिन वह लंबे समय तक उसका सामना करने से कैसे बच सकता था? इसलिए उसने उसका सामना करने के लिए अपनी सारी शक्ति इकट्ठी कर ली । हत्यारे की साफ निगाहें मुजम्मिल को लगातार घूर रही थीं.
उस लंबी और भयानक रात ने फिर से बारिश की कलाई खोल दी । कब्रिस्तान में हुई हलकी बारिश के विपरीत, भारी बारिश की बूंदो ने चिपचिपे बालों वाले व्यक्ति के बालों को बिखेर दिया। मुज़म्मिल की आधी आँखें ढँकी हुई थीं, जो हत्यारे के बारे में उसकी दृष्टि को सीमित कर रही थी । बूंदों की आवाज उसे चौंका रही थी। हत्यारा एक भयानक प्रतिमा की तरह खड़ा था । कातिल का असर, पहले उसे कुछ समझ में नहीं आया मगर जब उसकी गर्दन पर मज़बूत पकड़ ने उसे हाथ से निकलने की कोशिश भी नहीं करने दी, तब वो झटपटाने लगा ।
हत्यारा बारिश के पूरी तरह से थमने का इंतजार करने लगा। जैसे ही बीटबॉक्सिंग करती हुई बारिश की आवाज ने हवा की गंदगी को पूरी तरह से साफ कर दिया और एक चहकती आवाज ने हत्यारे को एक बार फिर से परेशान करना शुरू कर दिया, उसने अपनी पकड़ मजबूत कर ली और मुजम्मिल को घर के अंदर ले गया।
मुज़म्मिल ने उससे मुक्त होने की बहुत कोशिश की, यह जानते हुए कि एक बार हत्यारे के नियंत्रण में आने के बाद, वह जीवित नहीं रहेगा, लेकिन इससे पहले कि कोई देख पाता, हत्यारा उसे तेज़ी से अंदर की और ले गया । दरवाजा बंद करके उसने उसे शीशे के सामने फेंक दिया । मुज़म्मिल ने जब अपना चेहरा उठाया तो देखा कि आईने में एक कमजोर और मासूम रो रहा है। यह पहली बार नहीं था जब उसने खुद को रोते हुए देखा था, लेकिन हल्के पीले चेहरे पर डर बिल्कुल नया था। सबसे खराब हिस्सा तब शुरू हुआ जब दर्पण ने हत्यारे द्वारा उसे मारने की कोशिश को प्रतिबिंबित किया। आँखों को चौड़ा करते हुए, एक अचानक फिसलने के साथ, वह तेजी से घूमा और उसकी अचानक हरकत ने रॉड को बाईं आंख के ऊपरी किनारे पर दे मारा। हालांकि झटका इतना जोरदार नहीं था, लेकिन अचानक हुए झटके ने मुजम्मिल को कुछ मिनटों के लिए मानसिक रूप से बेहोश कर दिया।
धुंधली आंखें होश में आने पर पहली नजर ने जमीन पर पड़े खून के धब्बे को देखा। दर्द ज्यादा नहीं था क्यूंकि उससे वह अपने जीवन में पहले ही गुजर चुका था मगर खून उसके लिए भयानक था।
बगल में खड़े हत्यारे को देखकर लगातार झपकती हुई पलके रुक गयी और आँखें अचानक चौड़ी हो गई। मुज़म्मिल ने जब उसकी ओर देखा तो हत्यारे ने ज़ोर से उसके बाल खींचे। उसे पूछने का समय भी नहीं दिया की
"तुम हो कौन?"
"मुझे माफ़ कर दो । मुझे माफ़ कर दो । मुझे छोड़ दो ।" मुज़म्मिल हकलाते हुए बोलने को कोशिश करने लगा । बोलने के दौरान कांपते होंठ कई बार दांतो के बीच में आने से बच नहीं पाए।
हत्यारे के पास मुज़म्मिल को प्रताड़ित करने के लिए पूरी रात बची थी । उसने अपने अंगूठे से मुज़म्मिल के होंठ पर खून की बूंद को छुआ, रक्त के पैटर्न को देखा, कुछ विचार-मंथन की प्रतीक्षा की और इससे पहले कि मुज़म्मिल कुछ बोल पाता, होंठ के कटे हुए हिस्से को कसकर दबाया । उसे थोड़ा बाहर निकाला और गहराई से काट दिया। बहुत तेज़ चाकू से ।
दर्द ने मुज़म्मिल को हत्यारे को अपने से दूर धकेलने की कोशिश करने के लिए उकसाया, लेकिन जल्द ही एहसास हुआ कि उसके हाथ आगे नहीं बढ़ सकते। वे घर के एकमात्र लकड़ी के टेबल के के पैरों से बंधा हुआ था ।
फर्श पर उसके होठों से खून टपकने लगा, फर्श के टेढ़े-मेढ़े सिरे पर रखे एक प्याले की ओर बहने लगा। वह पूरी मेज को हिलाते हुए खुद को मुक्त करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। अंत में, एक नोटबुक मेज से गिर गई जब उसने अपनी पूरी आंतरिक शक्ति से मेज को हिलाया। अगर नोटबुक से गिरने के बाद हत्यारे के चेहरे के भाव में एकदम से तबदीली और डर नहीं आता तो शायद मुज़म्मिल का इस और ध्यान भी न जाता। हत्यारे के चेहरे की सारी मुस्कान पल भर में फीकी पड़ गई। वह जल्दी से अपनी जगह से खड़ा हो गया, नोटबुक को पकड़ा और एक खुले सूटकेस में रखने लगा ।
सूटकेस में बहुत कम मात्रा में गंदे चुने हुए कपड़े थे। उनमें से ज्यादातर अनियमित रूप से बिस्तर पर बिखरे पड़े थे। हत्यारे ने जल्दबाज़ी करते हुए सूटकेस को बंद कर दिया। उसने जल्दी से सूटकेस को एक शेल्फ पर रख दिया और एक पुराने फटे कपड़े से उसे ढक दिया। मुज़म्मिल उस नोटबुक के अंदर झांकना चाहता था। एक ही शब्द से सारा दृश्य उसके मन में कौंध गया,
"एक कहानी"
सबकी एक कहानी है। हमारा सारा कर्म इस पर निर्भर करता है, हमारा सारा जीवन। मुज़म्मिल यह बात उस रात सबसे बेहतर जानता था। एक उन्मादी लेखक ने हत्यारे की कहानी को महसूस किया। उसने दो कारण सोचते हुए रात में आशावादी सोच से काम लिया,
सबसे पहले, एक होश उड़ाने वाली कहानी उसके सामने आ सकती है, और अंत में, हत्यारे की कहानी उसके जीवित रहने का एकमात्र कारण बन सकती है। परिदृश्य बदल गया था। हत्यारा गहरी विचारधाराओं में लिप्त था, अपने विचारों को उकेर रहा था और मुज़म्मिल डरावने डर को दूर करते हुए एक घबराये चेहरे को देखकर बस मुस्कुराया।
हत्यारा तब विचार से बाहर आता है और डर को दूर करते हुए मुज़म्मिल के चेहरे पर नज़र डालता है। वह उसके पास जाकर उससे पूछता है,
" तुम मुस्कुरा रहे है?"
"नहीं?"
मुज़म्मिल धीरे-धीरे अपने चेहरे पर डर का नकाब ठीक करता है ।
"क्या तुम मौत से नहीं डरते?" हत्यारा पहली बार दयनीय आवाज के साथ बोला।
मुजम्मिल ने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। हत्यारे का दिल उसके मासूम और डरे हुए चेहरे के ढोंग से पिघला नहीं। उसने सख्त मुट्ठी से उसका गला पकड़ लिया। यह किसी मौत के मंज़र से कम नहीं था। अंदर की मुस्कान सचमुच चीख उठी। सख्त पकड़ ने मुज़म्मिल की आँखों को खून के टब में बदल दिया और चेहरा हल्का पीला हो गया। हत्यारे ने फिर अपना राक्षसी चाकू निकाला और हल्के पीले गालों को लाल कर दिया ।
गालों के सबसे मोटे हिस्से पर उसने एक छोटा सा चीरा लगाया। हालांकि यह कोई गहरा कट नहीं था, खून बह रहा था बिना किसी रुकावट के। मुस्कान एक गंभीर गलती बन गई, लेकिन हत्यारा इतने पर ही नहीं रुका। वह अपनी पकड़ को थोड़ा नीचे खिसकाता है जब तक कि गले के एक छोटे से क्षेत्र में पसीना और सरपट दौड़ना दिखाई नहीं देता। उसने चाकू उसके गले के किनारे लगा लिया। अनंत पतन के साथ चट्टान पर जीवन और अपने भाग्य पर मरती हुई आशा। मुज़म्मिल ने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। जीवन की अंतिम सांस अंत की ओर यात्रा कर रही थी । पार करने के लिए सिर्फ एक ही पुल था। कुछ भी उसे वापस नहीं ले जा सकता था । निश्चित रूप से कोई कहानी थी, जिसके लिए उसे जिंदा रहना था, जिसने मौत तक ले जाने वाले पुल को गिरा दिया ।
यह हत्यारे की प्रकृति के लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित था कि उसके हाथ ने अपनी पकड़ ढीली कर दी। छुरी अब भी थी पर सांस अब आने लगी थी। मुजम्मिल जोर-जोर से सांस लेने लगा। पैर के अंगूठे पर बैठे हत्यारे ने अपना सिर नीचे कर लिया और मुजम्मिल को मारने से अपने आप को रोक लिया।
उसके जीवन में पहली बार एक असामान्य घटना घटी थी। वह अपने घर के कोने में फुटबॉल खेल रहे 10 साल के बच्चे की हत्या करने से खुद को नहीं रोक सका तो निश्चित रूप से, मुज़म्मिल को न मारने में किसी भी प्रकार की दया का कोई विकल्प नहीं था। कुछ और ही था।
"शायद एक कहानी"
"शायद वह नोटबुक जो टेबल से गिर गई थी"
वो जो कुछ भी था, उसने मुज़म्मिल की मदद की। हत्यारा खड़ा हो गया और बिना पीछे देखे उससे दूर चला गया। उनके बीच की दूरी ने मुज़म्मिल को राहत की सांस दी, जो कुछ सेकंड पहले ही लगभग ख़त्म होने वाली थी। उसने अपनी सांस तो बचा ली लेकिन उसका दिमाग होश खो रहा था।
उसने अपने आप को जगाये रखा जब तक हत्यारे ने बिना उसकी आँखों में देखे उससे ये पूछा,
"तुम हो कौन?"
मुज़म्मिल ने हत्या वाले हिस्से के अंत और बातचीत की शुरुआत को भांप लिया। उसने जवाब दिया,
"मुज़म्मिल"
"कौन?" हत्यारा उसकी ओर मुड़ा और सारगर्भित ढंग से पूछा।
"डिलीवरी मैन" मुज़म्मिल ने जागने और होश में आने के लिए ताकत जुटाते हुए जवाब दिया।
हत्यारे ने उसकी आंखों में देखा। जिज्ञासा थी। मुज़म्मिल के पास आने के बाद वह अपने पैरों के अंगूठों पर बैठ गया, यह पूछने पर कि क्या उसके साथ बातचीत में नामांकन करने में दिलचस्पी है।
"एक डिलीवरीमैन, कब से?"
उस प्रश्न तक मुज़म्मिल अधिक देर न टिक सका और बेहोशी जोर-जोर से आँखें बंद करने लगी। उसने सवाल का जवाब नहीं दिया लेकिन हत्यारा जवाब चाहता था। वह बार-बार अपना सिर उठाता, जब भी वह नीचे गिरता । मुज़म्मिल को अब होश में नहीं रह पा रहा था ।
जब आंखें बंद हो जाती हैं तो उनके बीच की बातचीत भी खत्म हो जाती है। मुज़म्मिल अब और विरोध नहीं कर सकता था। गुस्से की लहर में हत्यारे ने खड़े होकर उसके पैर में जोर से लात मारी लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसने ऐसा कई बार किया लेकिन अंत में उसकी क्रूर यातना को समाप्त कर दिया। अपनी बाहें फैलाकर खिड़की को देखता है, और सूटकेस से नोटबुक निकालता है ।
कुर्ते की जेब से कलम निकाल कर वह नोटबुक का ठीक वही पन्ना खोलता है जिसकी उसे जरूरत थी। उसने जो पहला नाम लिखा था, वह बिना स्याही के पृष्ठ को खरोंच कर काटा था। कलम उसकी नहीं बल्कि उस शख्स की थी जिसे उसने एक भयानक रात में मार डाला। यह सबसे तीखी चीज थी जो उस शख्स ने हत्यारे की आंखों में मारी थी।
यह एक हथियार नहीं था, हालांकि हत्यारे ने इसका इस्तेमाल एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ एक महत्वपूर्ण तलवार के रूप में किया था, जिसकी आंखें बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थीं। आखिरी खून की बूंद उसकी नोक पर रह गई, जिसने उस कलम की नोक पर एक सख्त परत बना दी। पृष्ठ की पहली दस पंक्तियों में उन व्यक्तियों के नाम थे जिन्हें हत्यारे द्वारा मारे जाने के बाद पहले ही काट दिया गया था। कागज पर करीब पंद्रह नाम थे। परत को हटाकर उसने कागज के अंत में सोलहवां नाम लिखना शुरू किया । उसने पन्ने पलट दिए जब नाम एक पन्ने के लिए पर्याप्त नहीं थे, जिसके शीर्ष पर बड़े और मोटे अक्षरों में लिखा था ,
"सूची"
रात सिमट रही थी अपने अंदर राज़ छुपाते हुए।
अगले दिन मुर्गे की आखिरी चीखती हुई आवाज ने मुज़म्मिल की आँखें खोल दीं। एक नशे में धुत पंखा उसके लिए अपरिचित था। धुंधलापन दूर करने के लिए उसने तीन बार आंखें खोलने और बंद करने की कवायद की। उनके लिए खुद सफाई करना आसान नहीं था। मुज़म्मिल ने अपना हाथ उसकी आँखों की ओर लाने की कोशिश की लेकिन नहीं ला सका। उसने सोचा कि यह एक सपना है, लेकिन जब हत्यारा अपने हाथ में खून के साथ घर में प्रवेश करता है, एक हाथ में मुर्गे की गर्दन और दूसरे में शरीर के बाकी हिस्सों को पकडे हुए, तो यह स्पष्ट हो गया था कि कल रात मुज़म्मिल को बाकी सब कुछ याद आने वाला था । उसकी जिंदगी की। उसने अपने शरीर को हिलाने की कोशिश की लेकिन रस्सी ने उसे बिस्तर से दूर नहीं होने दिया जिस पर वह सो रहा था। वह एक सेकंड के लिए चिल्लाया लेकिन हत्यारे को पास आते देख एक क्लिक में उसके दिमाग में क्रूर रात आ गई।
"एक और चीख और तुम अगली गर्दन मुर्गी की नहीं तुम्हारी होगी"
मुर्गे की चमड़ी निकालकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े वो इतनी कुशलता से कर उसे काटने में लग गया जैसे कसाई की दुकान में अनुभव किया हो।
मुजम्मिल ने खुद को कैद कर लिया। अपनी आँखें बंद करके, वह अपनी कल्पना में समय के माध्यम से चला गया, उस पहेली को सुलझाने की कोशिश कर रहा था जिसने उसे फँसाया था। एक मिनट में लगा कि कातिल का पीछा करने का फैसला न लिया जाए, खुद को उस वक्त तरह-तरह के बहाने देते हुए जब वह ओस और कल रात के बीच खड़ा था। अचानक उसके मन में एक सवाल कौंधा,
"हत्यारे ने उसे क्यों छोड़ा"
एक रहस्य, जो उसे पसंद था । रात भर का फ्लैशबैक उसके दिमाग में ऐसे आया जैसे ठीक सामने हो रहा हो। कुछ सेकंड के लिए नोटबुक और हत्यारे की चुप्पी उसके जीवन में एक अद्भुत कहानी लाने का विचार उत्पन्न करती रही।
जब हत्यारे ने मुर्गी पर चाकू से वार किया तो वास्तविकता ने कल्पना के द्वार पर एक भारी धमाके के साथ दस्तक दी ।
एक पल पहले वह सड़क पर था जो उसे उज्जवल अंत तक ले जा सकती थी और अगले ही पल एक अंधेरे कमरे में एक अंधेरे प्रकाश से चिपका हुआ था। मुर्गे के छोटे-छोटे टुकड़े काटने की आवाज डराने वाली थी। जब तक हत्यारे ने उससे उसके काम के बारे में नहीं पूछा, तब तक उसे बहुत डर लग रहा था।
उस बातचीत की उसने कभी उम्मीद नहीं की होगी। पिछली रात, उसे कोई बातचीत याद नहीं थी, लेकिन प्रताड़ना याद थी। अब सब कुछ अजीब नहीं लग रहा था। एक-दूसरे को जानने की जरूरत थी, जो हत्यारे को एक अजीब व्यक्ति के साथ बातचीत करने दे रही थी।
एक क्षण ऐसा आया जब मुज़म्मिल ने महसूस किया कि उसने अपने जीवन में किसी के साथ इतनी लंबी बातचीत की थी।
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कोई था जो बचपन में हर वक्त उसकी बातें सुनता था पर फिर भी मुज़म्मिल अपने आप को उसके करीब नहीं ला पाता था। पिछले 24 साल उसकी आँखों के सामने एक के बाद एक फ्रेम के साथ चलते रहे। एक निरंतर जीवन। वह केवल खुद को हाई स्कूल के सीनियर्स से छिपते हुए स्कूल के शीर्ष पर बैठे हुए देख पा रहा था। अपनी कल्पना का एक अकेला भेड़िया बाघों के साम्राज्य में फँस गया, ढेर सारे । बात करने वाला कोई नहीं था। सप्ताह में दो बार सन्नाटा और भयानक रातें दिखाई दे रही थीं। उपरोक्त बुद्धि वाला लड़का पूरे दिन साथ रहने वाले औसत छात्रों के बीच खुद को अलग-थलग और उपेक्षित महसूस कर रहा था। उसकी मदद करने वाला एकमात्र व्यक्ति था जिसने उसकी स्कूल की फीस जमा करवाई थी । मुज़म्मिल उसे खोना नहीं चाहता था। उसने उसे कभी नहीं बताया था कि वह क्या महसूस करता है। मुस्कान और छिपे हुए आंसू वहीं के वहीँ रहे जहां थे।
वह अपने अंतिम वर्ष में था जब एकमात्र व्यक्ति जिससे वह प्यार करता था, हमेशा के लिए मौत की गोद में सो गया। किसी तरह, उसे डिग्री तो हासिल कर ली, लेकिन कल्पना की छिपी कला कभी नहीं रुकी। इसने उसे परिमित दुनिया से अनंत के ब्रह्मांड में खींच लिया।
उसकी सारी समझ उसे परख रही थी। संसार के दु:खों को वो अपने लेखन के माध्यम से ही दूर कर सकता थे। जिस स्थान की उसने खोज शुरू की, वह उसकी कल्पना और इच्छाओं को और अधिक उजागर करता चला गया।
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हत्यारा हालांकि कभी किसी का हीरो नहीं बन सका लेकिन मुजम्मिल का झुकाव उसकी ओर होने लगा था।
हत्यारे ने पूछा,
"तुम मरने से डरते हो?"
लड़के ने हाँ में सिर हिलाया।
"फिर तुम्हे मेरे लिए काम करना होगा"
मुज़म्मिल थोड़ा घबरा गया। उसने काम को भांप लिया, लेकिन उसे मना भी नहीं कर सकता था ।
हत्यारे ने कहा,
"मुझे कुछ लोगों के पते चाहिए और तुम उन्हें ढूंढ कर मुझे बताओगे "
हत्यारे के उस पर विश्वास करने का कारण वह सोचने लगा। हत्यारे ने अपने विचार को बाधित किया,
" तुम्हारे पास एक ही जीवन है। उसे किसी भी ऐसी चीज के बारे में सोचने में बर्बाद करने की कोशिश न करना , जो मुझे सोचने पर मजबूर करे क्योंकि जब मैं सोचता हूं"
उसने एक विराम लिया और मुर्गे की सबसे मजबूत हड्डी पर जोर से प्रहार करके उसके दो टुकड़े कर दिया और कहा,
“तो मैं किसी न किसी को मार देता हूँ। तुम वो मत बनना जिसे मुझे मारना पड़े”
मुज़म्मिल, एक ईमानदार और निर्दोष व्यक्ति होने के नाते जानता था कि उसके काम के परिणाम क्या होंगे। पूरे दिन हत्यारे ने उसे अपने बंधक के रूप में रखा; उसे अच्छी तरह से खिलाया पिलाया लेकिन जब अगले दिन सूरज ऊगा, तो मुज़म्मिल ने खुद को अपने काम करने की जगह से दो गली दूर एक बेंच पर सोते हुए पाया।
उसने एक बार फिर यह मानने की कोशिश की कि यह सब एक सपना था लेकिन जब उसने अपनी जेब चेक की तो एक कागज के टुकड़े ने उन सभी सपनों को तोड़ दिया। उसे खोलना, एक अस्थिर क्षण था। पन्ने में वह लिखा था जो मुज़म्मिल के बेहोश होने पर पूरी रात हत्यारा लिखता रहा। वो थी,
"सूची"