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रात बारिश में चीख रही थी। चाँद निकल चुका था और काले बादलों ने उसकी जगह ले ली थी। यह पता लगाना बहुत मुश्किल था कि आसमान के किस हिस्से में सबसे ज्यादा बिजली चमक रही है। अगर कोई ध्यान से सुनने की कोशिश करता तो बिजली के गड़गड़ाहट की आवाज किसी को भी बहरा बना सकती थी । बारिश की बूंदों के जमीन पर गिरने के बीच में एक और आवाज सुनाई देती है। आवाज स्थिर थी, न तो अपनी ताल बढ़ा रही थी और न ही आराम कर रही थी। एक मजबूत हाथ फावड़े को गीली रेत पर मार रहा था। हर एक प्रहार पिछले वाले की तुलना में कम रेत निकाल पा रहा था लेकिन कोशिश ज्यों कि त्यों रहती हैं । बारिश से जमीन सख्त हो रही थी लेकिन इस इंसान को तोड़ पाना असंभव लग रहा था । उसकी हरकत में कोई बदलाव नहीं था। ऐसा लगता है कि वह उस काम में सुकून पा रहा था जिसे खत्म करने की कोई जरूरत नहीं थी। बारिश से उसके पूरे शरीर में पसीना दौड़ रहा था। वह बहुत सतर्क था कि कब्रिस्तान के बाहर खड़े किसी व्यक्ति को उसकी आवाज़ सुनाई न पड़े ।

लंबा कुर्ता पहने आदमी एक मुस्लिम टोपी, पुरानी एनालॉग घड़ी, छोटी उंगली में अंगूठी और एक सेना का जूता, कब्र खोद रहा था। अब तक की सबसे अंधेरी रात में उस आदमी के चेहरे का वर्णन करना बहुत मुश्किल था । उसने अपना काम जारी रखा और तभी फावड़ा एक सख्त चीज़ से टकराया । उस आदमी ने अंदर से टटोल कर वह निकाला जिस कंकाल की उसे जरूरत थी, उसे कसकर पकड़ लिया और बिना किसी घबराहट के उसे एक तेज़ झटके के साथ बाहर निकाल दिया। पैर का हिस्सा था । उसने और खोजा और एक के बाद एक खोपड़ी सहित एक पूरा मानव कंकाल बाहर निकाल लिया।

मुर्दा शख्स के सिरहाने गड़े हुए पत्थर पर उसने नज़र डाली

"याकूब रिज़वी पुत्र जावेद रिज़वी की याद में"

वह आदमी बिना पलक झपकाए उस गड़े हुए नाम को देखता रहा। वह इतना कठोर था कि देखते-देखते उसकी भीगी आँखों से आँसू छलक पड़े लेकिन फिर भी पलक झपकने का कोई नामोनिशान नहीं था। एक-दो मिनट के बाद, उसने सभी हड्डियों को इकट्ठा किया, उन्हें एक बैग में रखा और कब्रिस्तान के सबसे अंधेरे छोर की ओर चलने लगा, जहाँ तक कब्रिस्तान के बीच में एकमात्र खंबे की रोशनी भी नहीं पहुँच सकती थी । कदम बहुत धीमे थे, मिट्टी का एक भी दाग उसके पायजामे पर नहीं चिपक रहा था, हालाँकि जूतों का निचला भाग कीचड़ में धँस रहा था।

जब वह चल रहा था, तो उसकी परछाई पीछे और कब्रों तक छाने लगी, लेकिन कम शक्ति के साथ और फिर लगभग फीकी पड़ गई। कुछ मिनटों के बाद वही परछाई छोटी और मोटी दिखाई दी, लेकिन उस परछाई के विपरीत कि जब वह आदमी दूर जा रहा था।

परछाई अलग थी। भारी बारिश के बीच, केवल एक चीज जो ठहर नहीं रही थी, वह थी उस आदमी की परछाई जो एक मृत शरीर को घसीटते हुए ला रही थी। कीचड़ में कदमों की आहट उस मृत व्यक्ति के घसीटने की आवाज़ से अधिक थी। वह कुछ और कदम चला और मृत व्यक्ति के ठंडे पैरों को मुक्त करते हुए शांत खड़ा हो गया।

सबसे पहले, उसने मृत शरीर पर नज़र डाली, उस पर अंतिम नज़र डालने के लिए बिजली गिरने का इंतज़ार किया। जब रोशनी उस मृत व्यक्ति के चेहरे पर पड़ती है , तो एक भयावह आकृति प्रकट होती है। बिना आंखों वाला ठंडा शरीर, मुंह से निकली हुई जीभ , सिर के दो हिस्से और छाती पर छोटे-छोटे छेद शरीर में लगभग दो इंच की तरह गहरे हो चुके थे । एक छेद से हड्डी का एक हिस्सा बाकी हिस्सों से बड़ा और साफ दिख रहा था । अगली चीज़ जिस पर उसने नज़र डाली, वह था कंकाल जिसे उसने अभी-अभी खोदा था और फिर बादलों कि तरफ उसने देखा जो केवल बिजली चमकने के समय आँखों में दिखाई दे रहे थे।

बादलों की रोशनी में, एक आदमी का चेहरा प्रकृति में एक तीव्र, क्रूर, अज्ञात और नकारात्मक चरित्र के रूप में प्रकट हुआ। उसके चेहरे की पहचान सिर्फ एक ही चीज़ से की जा सकती थी और वह था उसके कान से लेकर ठुड्डी तक एक पुराना गहरा घाव।

उस आदमी ने मृत व्यक्ति को गौर से देखा, फिर कब्र के अंदर कदम रखा, और उस व्यक्ति को धीरे-धीरे उसमें लेटा दिया। पूरी प्रक्रिया कछुए की दौड़ की तरह काम कर रही थी।

अंत में, वह कब्र से बाहर निकला, उसने उस आदमी को अंतिम दर्शन दिया जिसे उसने अभी रखा था। उसके चेहरे पर एक तरह की शांति नजर आई । इतने अच्छे इंसान को मारना मुश्किल था, करीब-करीब नामुमकिन।

एक छोटा सा लड़का, 9 साल का, एक बूढ़ी औरत 60 साल की और एक कुत्ता, सब आराम से कब्र में लेटे हुए आदमी का इंतज़ार कर रहे थे।

कुर्ता पहने आदमी ने उसे मार डाला था और उकेर रहा था ताकि अच्छे इंसान के बारे में किसी को पता न चले, उसके परिवार को भी नहीं जो भूख से मर रहा था क्योंकि खाना लाने वाला आदमी बहुत कम समय में किसी का खाना बनने वाला था।

मौलाना से सुनी हुई कुछ आयते पढ़ने लगा । उसने जो किया उसके लिए उसे खुद को दोषी महसूस करना चाहिए था या कम से कम शर्मिंदा होना चाहिए था, लेकिन वह आदमी अलग-अलग अपवादों के साथ अलग था। एक आयत पढ़ते-पढ़ते वह नीचे उतर गया, पॉलीथिन उठाने लगा । पोलीथिन थोड़ी भारी थी पर उसके लिए नहीं जिसकी आत्मा पर श्राप का काफी बोझ था। उसने उसकी गाँठ खोली और धीरे-धीरे उस तरल को सिर से पाँव तक मरे हुए आदमी पर उड़ेल दिया। यह मरे हुए आदमी का ही खून था; वह सब जो उसने मार कर निकाला था।

कब्रिस्तान में खून की एक भी बूंद नहीं गिरने का एकमात्र कारण यह था कि किसी को शक न होने दिया जाए कि उस रात क्या हुआ था। अपने द्वारा बनाई गई दुनिया की सबसे खराब परंपरा के बाद, उसने खोदी गई रेत से कब्र भरना शुरू कर दिया।

कब्र भर गई और फावड़े को गिराते हुए उसने अपने हाथ फैला दिए । गाढ़ी मोटी बूँदें चुपचाप उसके हाथों से मैल का एक-एक टुकड़ा धो रही थीं लेकिन उसके हृदय में एक मासूम की हत्या का श्राप उसे और कठोर बना रहा था। हालांकि उसके हाथों पर खून की एक बूंद भी नहीं जमती, लेकिन मस्तिष्क जरा भी चीज नहीं धो सकता था। उसने फिर आकाश की ओर देखा; शायद बारिश उसके पक्ष में थी की जिसने सारा पसीने भी धो दिए।

हो सकता है कि उस रात उसे घबराहट या शर्मिंदगी या ग्लानि महसूस हो, लेकिन सबसे विनाशकारी बात तब हुई जब उसके चेहरे पर बिजली की रोशनी पड़ी और पिछली बार की तुलना में केवल एक ही चीज़ बहुत अधिक घमंड के साथ देखी जा सकती थी, वह थी उसकी मुस्कराहट।

उस आदमी ने उस रात एक मासूम व्यक्ति को मार डाला। एक ऐसे शख्स को जैसे किसी भी शख्स को उसने अपने जीवन में नहीं मारा था और यही कारण था कि वह गर्व के शिखर पर था। बिजली गिरने के एक और झटके से पहले वह आसमान की ओर देखता रहा। एक वाक्य, एक प्रश्न, एक ज्ञात उत्तर और एक गौरव, उस भयानक रात में पहली बार सुना। उस रात चेहरे पर एक मुस्कराहट और संतोष लिए हत्यारे के मुंह से केवल यही शब्द सुने गए, "आज रात कौन जीता?"

"आज रात कौन जीता?"

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समुद्र तट पर रेंगता हुआ आदमी, धुंधली आँखों से तारों से भरे चमकते आकाश की ओर देख रहा था। ऐसा लग रहा था कि हर सितारा प्रदर्शनी पर है। किनारे की शुरुआत में ही पानी की एक लहर ने उसे थप्पड़ मारा। हालांकि वह डरा हुआ नहीं दिख रहा था, लेकिन जिस तरह से वह दिखावा कर रहा था, उससे लग रहा था कि वह किसी बड़ी दुविधा में है। जब समुद्र तट पर रेत रात में ठंड के साथ खींचती है तो रेंगना मुश्किल होता है। आमतौर पर कोई भी रात में उस समुद्र तट पर चलने की हिम्मत नहीं करता लेकिन वह आदमी किसी बेवक़ूफ़ से काम थोड़ी था।

उसकी आँखों में केवल एक ही दृश्य था कि पूरे आकाश को ढँकने वाले तारे समुद्र के नीचे कहीं डूब रहे थे। टाइट शर्ट और ग्रे जींस वाला आदमी पानी की लहरों को अचानक ललकारता हुआ उम्मीद की तरफ रेंग रहा था।

वह यह कैसे कर सकता था, जब प्रकृति को ही उसे निराशा और एक अनजानी दुनिया के पानी में डुबाना रोमांचक लग रहा था?

रात के 2:30 बज रहे थे जब उस आदमी के जागने के बाद पांचवीं लहर ने न केवल उसके चेहरे पर बल्कि हाथों पर भी थपेड़े मारे। यह इतनी चीख और उग्रता के साथ आयी कि उसके हाथों ने अपने संपर्क की जगह को ढीला कर दिया और सिर, लहर से गिरते हुए, रेत पर धड़ाम से लगा। रेत उस समय दुश्मन नहीं थी, ज्यादा चोट नहीं लगी लेकिन पानी उसके साथ निरंतर मुक्केबाजी में लगा था । लहर इतनी तेज थी कि उसकी हड्डी लगभग टूट ही गई थी। समय आया जब उसे समुद्र के लहरों की आवाज़ से ज्यादा चीखने की जरूरत थी ।

यह दिलचस्प था कि ऐसे समय में कस्बे के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में, जहाँ आमतौर पर कोई नहीं जाता, एक लड़की ने उसकी आवाज़ सुनी। वह समुद्र तट के किनारे चल रही थी। उसके ऑफिस के बंद होने का समय 2:30 बजे तो नहीं होता, मगर फिर भी उसे सप्ताह में आमतौर पर 3-4 दिन ऐसे समय का सामना करना पड़ ही जाता है। हर समय वो बहाने बनाती थी की कमी उसमें नहीं है बल्कि ऑफिस के रवैये में है जिसके कारण हर काम में उसे वक़्त लग जाता था। लेकिन असल बात, जिसे वह हमेशा छुपाने की कोशिश करती थी, वह था उसका कम आईक्यू, मदद करने का अच्छा स्वभाव, कम चालाक नजरिया और दूसरों के लिए काम करने की अंतर्निहित मानवता।

उस रात जो असामान्य बात हुई, वह उसका निर्णय था, जो बस लेने के बजाय अचानक चलने के लिए बदल गया और वह भी समुद्र तट से। यह महज इत्तेफाक था कि एक ही समय में दो लोग उदास महसूस कर रहे थे या हो सकता है कि कोई एक ख़ूबसूरत अंत के लिए अपनी कहानी लिख रहा हो।

जब वह गलियारे से सड़क की ओर मुड़ी , तो उसे एक चीख सुनाई दी। यह उसका स्वभाव था और न केवल जिज्ञासा, जो उसे चीख की ओर शीघ्रता से ले गई। इससे पहले कि वह उस स्थान पर पहुंच पाती, उस आदमी ने चीखना बंद कर दिया था और लगभग बेहोश हो गया था। वह तेजी से उसके करीब पहुंची। कठिन रास्ते और ठंडक के कारण उसके जूते धीरे कदम रख पा रहे थे। समुद्र से सीधे उसकी गर्दन और स्तन पर बहने वाली ठंडी हवा को रोकने के लिए उसने कोई जैकेट नहीं पहनी हुई थी। छाती के निचले हिस्से में बाहों को कस कर पकड़ कर उसे सहारा दिया । किसी तरह, इससे पहले कि वह आदमी बेहोश होता, वह उसके पास पहुँची; अपने घुटनों को मोड़ा और उसके काँधे को पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ घुमाया।

अचानक हुई हलचल ने उस आदमी को एक पल के लिए झकझोर कर रख दिया। उसने देखने के लिए अपनी धुँधली आँखें खोलीं पर मदमस्त मस्तिष्क ने उसे ऐसा करने नहीं दिया। उसे केवल यही आभास हो रहा था कि कोई उसकी मदद करने की कोशिश कर रहा है। लड़की ने उसका चेहरा देखा, आधी तरफ से रेत से ढका हुआ। एक और आधे ने लाल रोती हुई आँख की झलक दी। उसने उसका बायां हाथ अपने काँधे पर रखने की कोशिश की । वह आदमी जोर से चिल्लाया और तुरन्त, उसने महसूस किया कि उसका हाथ लगभग टूट गया था। धीरे से, उसने उसे नीचे रखा और टटोलते हुए उसे उठाने के लिए उसकी कमर पकड़ ली। यह उतना कठिन नहीं था, जितना उसे लग रहा था। वह आदमी उतना भारी नहीं था जितना उसने सोचा था। यह एक सहकारी सफलता थी लेकिन केवल आदमी के लिए। जैसे ही उसने उसे उठाया, पानी की एक लहर ने उसके कपड़े कमर से नीचे तक गीले कर दिए । वह अपने कपड़ों को देखने में लगी थी कि तभी एक और तेज लहर जोर से चली और वह उस आदमी के साथ रेत पर गिर पड़ी। वह लहर के प्रति असावधान थी क्योंकि उसका सारा ध्यान नशे में धुत व्यक्ति पर था। आदमी के विपरीत, यह पहली बार था जब वह इतनी बुरी तरह भीग रही थी।

वह नहीं चाहती थी कि एक और लहर उन पर फिर से आए इसलिए उसने उस आदमी को फिर से उठाया और तेज़ चलना शुरू कर दिया।

आदमी के दिमाग में एक तरह की बेवजह सी कहानी बन रही थी। कभी-कभी वह खुद को कहीं, और अगले ही पल, एक अलग जगह पर पाता था। वह समझ नहीं पा रहा था कि वह कहाँ जा रहा है, और अपने दिमाग से लड़की को बेतरतीब ढंग से जवाब दे रहा था।

लड़की उसे उसके घर ले जाना चाहती थी , लेकिन जब भी वह उससे उसका पता या नाम पूछती, तो वह बस कोई कविता बुदबुदाता।

उसे पता चल गया था कि उस आदमी को मदद की ज़रूरत है और वह इतना नशे में था कि वह अपने घर नहीं पहुँच सकता था। अगले संभव कदम के बारे में सोचना उसके लिए वास्तविक दुविधा थी । उस रात लो आईक्यू ने उसे परेशान कर दिया। वह तुरंत शेर्लॉक होम्स बनना चाहती थी। रेत के अंत और सड़क की शुरुआत तक पहुंचने से पहले उसने खुद को बहुत सारे विचार दिए, लेकिन उसे कोई भी विचार ठीक नहीं लगा । अंत में उसके मन में एक ही बात कौंधी कि उस व्यक्ति को अपने घर ले जाए । किसी को अपने घर ले जाने का यह एक साहसी निर्णय था जहां दो और जीवन शायद ही उसे ऐसा करने की अनुमति देंगे। एक उसके दादा थे और दूसरा छोटा भाई। वह सभी नकारात्मक विचारों से अवगत थी लेकिन मानवता उन सभी पर भारी पड़ी। उसने आखिरकार उसे अपने घर ले जाने का फैसला किया, जो समुद्र तट से 15 मिनट की दूरी पर था, लेकिन एक शराबी आदमी को अपने साथ ले जाने में निश्चित रूप से एक घंटा लगने वाला था ।

सड़क पर चलते हुए, एक शराबी आदमी को ले जाते हुए, उसने चमकते आकाश की ओर देखा, फिर चंद्रमा की ओर। वह मुस्कुरा दि । बहुत शांत और मासूम आँखों से आकाश की ओर देखते हुए उसने कहा,

"तुम फिर जीत गए , आज रात"

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हाथ में डायरी, जेब में पेन, बाएं हाथ की बांह पर अचार का दाग, घुंघराले बाल, सपाट चेहरा, गहरी आंखें, फटे जूतों में गरीबी, भुखमरी, आकांक्षाएं, कल्पनाएं और जुनून सब एक साथ सब एक साथ देखा जा सकता था, खंभे के ठीक नीचे बैठे मुज़म्मिल के चेहरे पर , वह खंबा जो गाँव के एक छोटे से घेरे में सभी घरों तक एकमात्र बिजली पहुँचा रहा था । मुज़म्मिल, नंगे पाँव दौड़ते बच्चों को देख कर मुस्कुरा रहा था। उनके दिखावटी ख़ुशी से भरे चेहरों को देखकर उसमे एक तरह की सहानुभूति पैदा हो गई, हालाँकि वह खुद एकमात्र आदमी था वहां जिस पर दया करनी चाहिए थी। वह चंद बच्चों की खुशी में डूबा जा रहा था जो दुनिया के बारे में कुछ नहीं जानते थे, खेलने में लगे हुए थे।

एक पढ़े लिखे छात्र को एक गरीब गांव में लाने वाली एकमात्र चीज थी एक मास्टरपीस किताब लिखने की चाह। गांव में उसके रहने के छह महीने बाद भी यह रहस्य बना हुआ था कि वह पत्रकार हैं, लेखक हैं, या फिल्मकार हैं।

समझाना वास्तव में कठिन था कि वह गाँव से क्या चाहता हैं और उसे उस जगह पर क्या चीज़ ले कर आयी है, इसलिए जब भी उसके सामने कोई प्रश्न आता, तो वह केवल एक मुस्कान दे देता।

गाँव लोककथाओं की महानता का शौकीन था, वहाँ के लोग भी लेखक की अपेक्षा से कहीं अधिक सरल थे। एक परिवार ने उसे अपने घर में रहने दिया। पहले तीन महीनों तक वह उन्हें किराया देता रहा, लेकिन जब परिवार को पता चला कि वह अनाथ है, रिश्तेदार या दोस्तों के नाम पर कोई नहीं है , मासूम है और खेती के दौरान मददगार भी है, तो उन्होंने उससे किसी भी तरह का किराया लेना बंद कर दिया। मुज़म्मिल ने कुछ और समय रुकने का फैसला किया लेकिन नियति ने उसके लिए कुछ अलग योजना बनाई थी।

एक महामारी ने गाँव के सभी खुशहाल और अच्छे दिनों पर काबू पा लिया। इस तरह कि महामारी का वाजिब कारण जानना बेहद मुश्किल था। किसी ने कहा कि यह गांव के लोगों के पापों का कारण है तो किसी ने इसकी वैज्ञानिक व्याख्या की।

जो कुछ भी था, समस्या कारण नहीं बल्कि प्रभाव थी। जो कुछ भी बोया वह सड़ गया, भूख अपनी आवश्यकता दिखाने लगी और एक-एक करके लोग या तो गाँव से भागने लगे या भोजन के लिए निकटतम शहर की ओर जाने लगे। अपनी परंपरा में अपने आप को समर्पित करने वाले धीरे-धीरे, मौत की गोद में जाने लगे।

जो लोग पलायन नहीं करना चाहते थे, उनकी बात सुनकर मुजम्मिल दंग रह गया। जमीन से लगाव, एक भौतिकवादी चीज ने मौत का स्वागत किया। जिस परिवार के साथ वह रह रहा था, वह अपने जन्मस्थान को न छोड़ने के अपने फैसले पर सख्त थे । उनके प्यार, देखभाल और मदद ने लेखक को जगह छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया। दिन बीतते गए और बचा कुचा खाना भी समाप्त हो गया । मुज़म्मिल के पास कुछ और पैसे थे लेकिन वह उन्हें पूरी तरह खर्च नहीं करना चाहता था। वह उस समय का इंतजार कर रहा था जब पैसे की सबसे ज्यादा जरूरत दिखाई दे। लेखक ने अपने जीवन में ऐसा आकाल कभी नहीं देखा था। सबसे बुरा हाल सात साल के एक छोटे बच्चे की मौत से शुरू हुआ। अधिक लोग तेजी से गांव से बाहर भागने लगे। चार परिवार ही रह गए, जो हर क़ीमत पर वहीं रहने की कसम खा रहे थे ।

यह एक बहादुर लेकिन सबसे बुरा समय था, लोगों के साथ एकजुट लेकिन जीवन से जुदाई, गर्व का क्षण लेकिन आंसुओं से भरी आंखें, शांत दिल, लेकिन पागल दिमाग। मुज़म्मिल उनकी तरह मरना नहीं चाहता था। वह वहां का नहीं था और न ही उसने अभी तक वो हासिल किया था, जो उसे वहां लाया था । जब भी वह उस जगह को छोड़ने की कोशिश करता, लोगों की चीखने का कारण ही उसे वहाँ ले आता था। दो रातें, उसने यह पता लगाने की कोशिश की कि क्या करना है; आखिरकार, यह एक कठिन निर्णय था।

अंत में, जब उसकी उम्र का एक आदमी ठीक बगल के घर में मर गया, जहाँ उसने शरण ली थी, उसके दिमाग में चीखें बंद हो गयी और उसने जल्द से जल्द उस जगह को छोड़ने का फैसला किया।

एक तरह का मासूम दिल इस तरह की नाजायज हरकत के लिए बहुत परेशान करता है लेकिन जान से ज्यादा कीमती कुछ नहीं होता। वह जानता था कि जिस परिवार ने वहीं रहने का फैसला किया है, कुछ दिनों में उनकी भी मृत्यु हो जाएगी।

वह पैसे देकर उनकी मदद कर सकता था लेकिन वह पैसा केवल उन्हें, 5 दिन का भोजन खरीद कर दे सकता था, और उसके बाद, वे फिर से वही बन जाते जो वे थे। एकमात्र अमूर्त बिंदु यह था कि क्या उन्हें गाँव छोड़ने के निर्णय के बारे में बताना चाहिए या नहीं। उसे एक और रात लगी। वह बिना बताए निकल कर किसी का दिल नहीं दुखाना चाहता था लेकिन जाते वक्त मायूस चेहरों की तरफ देखना भी नहीं चाहता था।

रात के 10:00 बज रहे थे जब लेखक ने अपना सारा सामान बैग में पैक कर दिया। केवल थैले में या तो उसके कपड़े रखे जा सकते थे या वो सामान जो गाँव के लोगों ने अलग- अलग मौकों पर उसे दिया था। उसने जो निर्णय लिया वह अच्छा नहीं था लेकिन वह एक अच्छा आदमी था, इसलिए उसने अपने सारे कपड़े ले जाने के बजाय केवल कुछ ही लिए और बाकी गाँव के समारोहों का सामान। उसने पैकिंग तब की जब उसके आसपास कोई नहीं था। जब सब कुछ समाप्त हो गया, तो वह जाने से पहले किसी से आखरी मुलाक़ात करने के लिए जंगल में चला गया।

तेज़ क़दमों से वह जंगल पहुंचा; भगवा वस्त्र पहनी एक कन्या को एक कटे पेड़ के तने पर बैठे देखा। वह समय की पाबंद थीं, मुज़म्मिल से कहीं अधिक । उसने पहले ही उसे रात 10:00 बजे मिलने के लिए कहा था। मुज़म्मिल उसके करीब गया । कदमों की आहट ने उसे मुज़म्मिल की तरफ घूमा दिया। जब वह उसके सामने पहुंचा तो वह उठ खड़ी हुई । उस लड़की के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी ने उससे मिलने की ख्वाहिश रखी हो और वह भी आखिरी। हालाँकि वह सुंदर नहीं थी, जो कि आम तौर पर लोग उसके गाँव में दूसरों की तरह मानते हैं, यह उसके लिए एक कारण नहीं हो सकता था कि जब उसने पहली बार उसे प्रस्ताव दिया था तो लेखक ने उसे अस्वीकार कर दिया था । लड़की हर संभव काम में कमजोर थी, जो उसके गांव में एक लड़की को परफेक्शन के साथ जानना चाहिए। उसमे सिर्फ एक हि चीज़ बेहतर थी और वो थी, उम्मीद ।

तेज़ क़दमों से वह जंगल पहुंचा; भगवा वस्त्र पहनी एक कन्या को एक कटे पेड़ के तने पर बैठे देखा। वह समय की पाबंद थीं, मुज़म्मिल से कहीं अधिक । उसने पहले ही उसे रात 10:00 बजे मिलने के लिए कहा था। मुज़म्मिल उसके करीब गया । कदमों की आहट ने उसे मुज़म्मिल की तरफ घूमा दिया। जब वह उसके सामने पहुंचा तो वह उठ खड़ी हुई । उस लड़की के साथ ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी ने उससे मिलने की ख्वाहिश रखी हो और वह भी आखिरी। हालाँकि वह सुंदर नहीं थी, जो कि आम तौर पर लोग उसके गाँव में दूसरों की तरह मानते हैं, यह उसके लिए एक कारण नहीं हो सकता था कि जब उसने पहली बार उसे प्रस्ताव दिया था तो लेखक ने उसे अस्वीकार कर दिया था । लड़की हर संभव काम में कमजोर थी, जो उसके गांव में एक लड़की को परफेक्शन के साथ जानना चाहिए। उसमे सिर्फ एक हि चीज़ बेहतर थी और वो थी, उम्मीद ।

मुज़म्मिल को याद आया जब उसने उस लड़की को एक छोटे से पहाड़ की चोटी से भागते देखा और उसने उसे रोका। उनके भीतर साझा करने के लिए इतना कुछ था कि बातचीत हर वाक्य के साथ खिसकने लगी। उनके मिलने की उस पहली शाम को उन दोनों को विचलित करना आसान नहीं लगा। अंत में, जब भेड़ों का एक झुंड, जिसे वह चराने के लिए ले गई थी, रात में डरने वाली आवाज करने लगी, तो उसे उस जगह को छोड़ना पड़ा। जो लड़की कभी दूसरों के साथ गपशप में नहीं रहती, हर समय उदास रहती, अपने काम में व्यस्त रहती, उसने आखिरकार पहली बार खुद को अनजान व्यक्ति के साथ सहज पाया। उसने सोचा कि आखिरकार एक आदमी उसके जीवन में आ ही गया जो उसे चाहता है।

उसने इतना लंबा इंतजार नहीं किया, रिश्तों में कोई अनुभव नहीं था और इसलिए कुछ मुलाकातों के बाद ही उसे प्रोपोज़ कर दिया । मुज़म्मिल के पास अतीत से कुछ कारण थे कि उसने उसे सबसे सामान्य तरीके से लेकिन दया के साथ मना कर दिया। वह उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहता था, और न ही उसकी कम आकर्षक सुंदरता के कारण उसे इंकार करना चाहता था।

यह एक कभी न खत्म होने वाली आशा थी जिसने उसे हमेशा यह विश्वास दिलाया कि लेखक कभी न कभी उसे चुन लेगा क्योंकि वह अकेली थी जिसके साथ उसने अपना अधिकांश समय बिताया था।

गाँव में लेखक़ का अन्तिम दिन उसे उसके जाने की बात बताए बिना समाप्त नहीं हो सकता था। सुनकर वह आहत हुई और दुखी हुई, जिसे आंसुओं से आसानी से देखा जा सकता था। उसने उन आंसुओं को न दिखाने की बहुत कोशिश की लेकिन जैसा कि लोगों ने कहा,

" आँखें बतला देती है कि दिल में क्या है"

मुज़म्मिल ने कभी भी उसके लिए प्यार महसूस नहीं किया लेकिन उसके रोंगटे खड़े हो जाते थे जब वह उसे छूती या मुस्कुराती थी। आखिर वह सब से कमाल जो थी। आराध्य, शान्ति, खूबसूरती, कुछ ऐसे गुण थे, जो उसके साथ समय बिताने पर ही पता चल पाते।

लेखक़ ने जब उसके सिर को नीचे झुका देखा, तो वह उसके अपने आप को और रुकने से रोक नहीं सका और उसकी ठुड्डी को ऊपर उठाते हुए, उसकी नम आँखों में देखते हुए, उसके चेहरे को पकड़े हुए, और बिना कुछ सोचे-समझे उसके कोमल कोमल होंठों को अपने होठों से छू लिया।

खोज में आँसू और उस अंतिम स्पर्श की आवश्यकता चुंबन के बीच में ही आँखों से बह निकली। लेखक इतना अंतरंग था कि उसके लिए उसे छोड़ना कठिन था और लड़की भी खुश थी लेकिन सिसकियों के साथ। पहली बार किस करने वाले दोनों ही जंगली और अच्छे थे। एक मिनट में गुस्सा, पछतावा और उदासी फूट पड़ी। शायद उसके साथ रहने के मुज़म्मिल के 'झूठे वादे' न करने ने उसके दिल से सारी नापाक चीज़ें निकाल दीं। शायद उसके जाने के बाद, वह अपनी तरह की नई होगी। शायद वह अब वह नहीं रहेगी जो पहले हुआ करती थी। आगे जो भी हुआ वह लेखक और लड़की के लिए सबसे अच्छे पल को नहीं रोक सका , जब वह जा रहा था और वह अपनी आँखों में आँसू लिए मुस्कुरा रही थी। जुदाई के लिए एक दुखद क्षण लेकिन एक नए जीवन के लिए खुशी का पल, दोनों महसूस कर रहे थे। किस करते हुए लड़की के बालों की क्लिप उसके हाथ में आ गई जब उसने उसके बालों को उत्तेजना में पकड़ लिया. चिपचिपे बालों को पहली बार पुराने विचारों की गुलामी से छूटती ठंडी हवा का एहसास हुआ। मुज़म्मिल ने उसे वापस नहीं दिया। उसने भी यह सोचकर नहीं माँगा कि शायद एक दिन उसकी याद उसे अपने पास वापस खींच लेगी।

मुज़म्मिल दृढ़ निश्चय के साथ वहाँ से चला गया। वह अपने निर्णय को लेकर असमंजस में था। चलते-चलते वह कई बार रुका, पीछे मुड़ा, सोचा और फिर आगे बढ़ गया। उसे और उसके दिल की धड़कन को कुछ भी आराम नहीं दे पा रहा था, आखिरकार , वह एक जीवन छोड़ रहा था, जो दिए गए जीवन की रक्षा कर सकता है। रात के बीच में, उसने भ्रमित, उदास, अनजाने, तुच्छता से खुद को देखा और पूछा,

"आगे क्या होगा?"

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